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संपादकीय

आकाश में भी खेलना  माराडोना ...

डिएगो माराडोना यूं हीं नहीं सर्वकालीन महान फुटबालर कहे गए। गजब की स्फूर्ति , चपलता और नियंत्रण से उन्होंने फुटबाल बेहद कलात्मक बनाया। जिस फुटबाल पर खेल की दुनिया मचलती है उसने डियेगो के उस गोल को भी देखा था जब छह खिलाडियों के बीच से फुटबाल निकालकर उन्होंने जाले में डाल दिया था। ब्राजील की फुटबाल में अगर सौंदर्य रहा है तो माराडोना ने अपने खेल से बताया कि अंजेर्टीना की फुटबाल में चांदी की सी चमक है। अर्जेटीना का अर्थ ही चांदी है। अस्सी के दशक में माराडोना जैसा अद्भुत खिलाडी अपने अपने असाधारण खेल से इस देश को बेहद ऊंचाई दे गया। तब यही कहा गया था कि माराडोना ने अर्जेटीना के लिए विश्व कप जीता। यह उनका कौशल था कि फुटबाल के महान खिलाडी महान पेले के समकक्ष  माना जाने लगा,  बल्कि यह तक कहा जाने लगा कि दोनों में बेहतर कौन है। 11 खिलाडियों की कोई टीम विश्व कप जीते टूनार्मेंट जीतती रहे और उसकी चर्चा एक खिलाडी पर ही सिमट जाए तो महसूस किया जा सकता है कि वह खिलाडी कितना अद्भुत होगा। यह उनका जलवा है कि फीफा के प्लेयर आफ द सेचुरी पुरस्कार के लिए उन्हें पेले के साथ बेहतरीन खिलाडियों में माना गया। फुटबाल के कद्रदानों ने श्रेष्ठ ड्रिबिंग पासिंग और हेड से गोल बनाने की कला के लिए अगर पेले की प्रशंसा की तो मारोडोना के फुटबाल को इसलिए सराहा गया कि नियंत्रण, जोश और रफ्तार मे उनका कोई जवाब नहीं था। फुटबाल के प्रेमियो ने दो अलग अलग दौर में फुटबाल के महान खिलाडियो को खेलते देखा। यह भी देखने लायक बात है कि महान पेले ने अपना हजारवां गोल दुनिया के गरीब बच्चों को समर्पित किया था तो दुनिया से जाते जाते माराडोना भी कह गए कि उनका जो गोल हैंड आफ गोल के नाम से जाना जाता है उन हाथो से वह दुआ करते हैं कि कोरोना से यह दुनिया मुक्त हो।
माराडोना जैसा खिलाडी मैदान में खेल रहा हो तो कुछ ऐसा तो होगा ही जिसता जिक्र किस्सो में होता रहे। उनके फुटबाल की कला को देखना हो तो वह गोल देख लीजिए जिसमें इंग्लैंड के छह खिलाडियों के बीच से फुटबाल निकालकर उन्होंने छह मीटर की दूरी से अपनी टीम के लिए गोल बनाया था। इसे दु गोल आफ सेंचुरी कहा गया। फुटबाल के खेल में कई लाजवाब गोल हुए लेकिन खेल के पन्नों में ऐसे गोल दर्ज हुए जिसे खेलप्रेमियों ने हैरत से देखा। अगर यह कहा जाता है कि अजेटाइना के लिए 1986 का विश्व कप माराडोना ने जिताया तो समझा जा सकता है कि फुटबाल के स्टेडियम में माराडोना माराडोना की पुकार करने वाले दर्शकों को कितनी रोमांचक आकर्षक फुटबाल देखने को मिली होगा।  फुटबाल पर राज करने वाले पीली जर्सी वाले ब्राजीली भी मारोडोना को हैरत से देख रहे थे तो इटली फ्रांस पश्चमी जर्मनी स्पेन की फुटबाल की रंगत भी हवा में उड गई थी। यह दौर माराडोना और उनके देश अर्जेनटाइना का था। फुटबाल की दुनिया ने बाद के दौर में रोनाल्डो, मैसी , बबेटो जैसे गजब के फुटबालर मिले, लेकिन माराडोना इनसे कुछ अलग थे।
अर्जेटीना के इस खिलाडी को अपने देश में कितना दुलार मिला इसका अंदाजा इस बात से पता इससे चलता है कि इस बेहतरीन खिलाड़ी के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके देश अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में 9 फीट ऊंची उनकी प्रतिमा लगी है. साल 2018 में डिएगो माराडोना के 58वें जन्मदिन का जश्न मनाते हुए उनकी पहली कांसे की प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इस प्रतिमा में वो गोल दर्शाया गया है जिसे बीसवी शताब्दी का सबसे बेहतरीन गोल माना गया। माराडोना साल 1977 से 1994 तक अर्जेंटीना की टीम के सदस्य रहे. इस दौरान उन्होंने 91 मैच खेले और 34 गोल दागे. मारोडना ने साल 1997 में पेशेवर फुटबॉल को 37 साल की उम्र में अलविदा कह दिया था.
इस दिग्गज खिलाड़ी ने फुटबॉल के 4 वर्ल्ड कप खेले. साल 1982 में उन्होंने अपना पहला वर्ल्ड कप खेला. इसके अलावा माराडोना ने 1986, 1990 और 1994 का वर्ल्ड कप भी खेला. वो 2008 से 2010 तक अर्जेंटीना की टीम के कोच भी रहे. 2010 विश्व कप के बाद मारोडना ने यह पद छोड़ दिया था, जब अर्जेंटीना को क्वार्टरफाइनल में जर्मनी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था
खेल के मैदान में अगर वह सितारे थे तो उससे बाहर जीवन में कई उतार चढाव आए। उनकी निजी जिंदगी में फुटबाल की तरह रफ्तार नही थी। इटली में  कोकीन लिए डोपिंग परीक्षण में विफल होने के कारण 1991 में उन्हें 15 महीनों के लिए निलंबित कर दिया गया और   वे खराब स्वास्थ्य और वजन बढ़ने की समस्या से लगातार परेशान रहे ।
माराडोना खेल की दुनिया में महान खिलाडियों में शुमार किया जाएगा। पेले ने  माराडोना के निधन पर कहा है कि अब हम आसमान में पुटबाल खेलेंगे। माराडोना के खेल का करिश्मा क्या था कि क्रिकेट की दुनिया के तमाम सितारे उन्हें याद कर रहे है। जो दौर माराडोना का था वो दौर सौरभ गांगुली और सचिन तेंदुलकर के बचपन का था। सौरभ गांगुली ने उन्हें श्रद्धाजंली देते हुए अगर अपना हीरो कहा है तो समझा जा सकता है कि मारोडोना किस स्तर के खिलाडी थे।

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