उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टाफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर व वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार से केंद्र सरकार की दिव्यांगजनों के लिए संचालित योजनाओं को लागू करने के लिए क्या नीति अपनाई है, उसकी प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश पर बुधवार को सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव, समाज कल्याण सचिव, कुमाऊं और गढ़वाल कमिश्नर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। स्वास्थ्य सचिव ने माना की दिव्यांगजनों को केंद्र सरकार की ओर से जारी सभी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्हें लागू करने के लिए सरकार को समय चाहिए। ऐसे में कोर्ट ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तिथि नियत की है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है। दिव्यांगों की संख्या भी अधिक है। जबकि इनकी सहायता के लिए केंद्र सरकार की निशुल्क योजना है। राज्य सरकार को कोई खर्चा नहीं करना है। इसके बावजूद राज्य सरकार, केंद्र की योजना का लाभ दिव्यांगजनों को नहीं दे रही है।
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