प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अभूतपूर्व विजन,दृढ़ संकल्प,सशक्त नेतृत्व और असाधारण अद्वितीय निर्णयों से देश को एक नई पहचान एवम् खास कर गरीब वंचितों और पिछड़े हुए लोगों के लिए आशा की किरण लेकर आया है।
हमारे देश में लोकतंत्र के सबसे शीर्ष पद राष्ट्रपति के लिए महामहिम द्रोपदी मुर्मू का निर्वाचित होना देश के लिए एक बड़ा संदेश है। आदिवासी बहुल और दूर दराज के क्षेत्र से आने वाली देश की बेटी का देश के शीर्ष पद पर बैठना हर देशवासी के लिए गौरव व मातृ शक्ति को सम्मान के साथ ही, सच्ची जनसेवा, समर्पित देश के नागरिक और कार्यकर्ता के संघर्ष,पीड़ा और जीवटता का सम्मान है।
विगत दशक से प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त नेतृत्व में हमारे देश भारत ने विश्व पटल पर एक नवीन कुशल नेतृत्व के रूप में विश्व शांति,समृद्धि और आत्मनिर्भर देश के रूप में स्वयं को स्थापित किया है,जिसके हर एक सामान्य नागरिक के अधिकार और उसके संघर्षों,सामाजिक जीवन और सच्ची लगन जनसेवा को सम्मानित किया है। दौर्पदी मुर्मू का जीवन,स्त्री के संघर्षों और साधारण परिवार में जन्मी एक महिला के देश के शीर्ष पद तक पहुंचने की असाधारण कथा है।उनके असाधारण संघर्षों,जीवन की जीवटता,नेतृत्व की क्षमता,अभूतपूर्व जनसेवा,आदिवासी गरीब वंचितों को पहचान और सम्मान का संदेश प्रधानमंत्री मोदी जी ने देशवासियों को दिया है। उन्हें हर देशवासी के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में भाजपा ने देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचाया है।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं।द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया।
आपने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और फिर ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद पर भी नौकरी की।नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च चलाया और बेटी इति मुर्मू को पढ़ाया-लिखाया। बेटी ने भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली।
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं।
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