Breaking News
news-details
तेरी कलम मेरी कलम
बुद्धिजीवी की कलम से
लिक्खाड़

मधु से मधुर थे मुकेश के गीत, 100वीं जंयती पर नमन

भारतीय फिल्म संगीत के जिस दौर को गोल्डन एरा कहा जाता है  उसमें मुकेश जी के गीतों का अपना महत्व है। मुकेश ने जब भी कोई गाया  उसने मंत्र मुग्ध किया।  साजों से जुड़कर एक मधुर आवाज जिसमें दर्द था अहसास था  और गहरा भाव था। मुकेश ने फिल्म संगीत में बेशुमार  गीत गाए वो मन को भिगो गए। दिल को छू गए।  मुकेशजी  की आज सौंवी जयंती है।

 भारतीय फिल्म संगीत में मुकेश ने अपनी एक खास जगह बनाई। उनके गीत रूस रोमानिया भी पहुंचे। जिस गीत को उनकी आवाज मिली वो गीत यादगार हो गए। ड्रेटाइट में 1976 में उनके निधन के बाद से एक लंबा समय गुजर गया। मगर वो गीत हैं कि लगता है अभी किसी ने गाए हों । वहीं अहसास वही कसक  वहीं माधुर्य। कितनी ही बार सुनो मुकेश के गीत दिल को छूते हैं। 
   पौड़ी में घर के कुछ दूर सिनेमा हाल था। वहां फिल्म का शो शुरु  होने के  पहले रिकार्ड में फिल्मी गीत बजा करते थे। जिन्हें सुरमम्य शांत पौड़ी शहर सुन लेता था। ऐसा ही एक गीत बजता तो मन को अच्छा लगता था। संतोष आनंदजी का लिखा यह गीत था इक प्यार का नगमा है मौजौं की रवानी है। तब क्य़ा मालूम होता  कि गीत के शुरु में जो वायलेन बज रही है वह  प्यारेलालजी के निर्देशन पर बजी है। लेकिन वो धुन बहुत अच्छी लगी। इस धुन के साथ ही मुकेश लताजी का वो गीत बहुत अच्छा लगता था। मैं घर की टीन वाली छत पर बैठ जाता था और इतंजार करता था कि इक प्यार का नगमा गीत बजेगा। इसके बाद मुकेशजी के गीतों को सुनता चला गया। जिस गली में तेरा घर न हो बालमा, कोई जब तुम्हारा हृद्य तोड़ दे  आ लौट के आजा मेरे मीत जैसे कालजयी गीत ही नहीं  धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले जैसा गीत भी कुछ  अलग अहसास कराता। धीरे धीरे कई तराने मन से सुने। जाने कहां गए वो दिन,  सारंगा तेरी याद में, चंदन सा बदन, सावन का महीना पवन करे शोर ,  मैं ना भूलूंगा, जिक्र होता है जब कयामत का, जीना यहां मरना यहां, ओह रे ताल मिले नदीं के जल में। हर गीत को मुकेश जी ने बहुत मन से गाया। डूब कर गाया। कवि गीतकारों के शब्दों को मुकेश की आवाज मिली । 
 मुकेशजी के फिल्मी गीतों को बहुत मन से सुना है। उस दर्द भरे संगीत का अहसास किया है। खासकर उनकी गाए हुए तुलसीदास  रचित रामचरितमानस के  सातों खंड भाव विभोर करते हैं।  मुकेशजी को नमन । उनके गीत भारतीय कला संगीत की धरोहर है। मुकेश जी के गीत हमने संजो कर रखे हैं।

0 Comments

Leave Comments